परमेश्वर आपको आप के रूप में उपयोग करना चाहता है ।.!
दूसरे लोगोंबके
सफलता के पैमाने मेट्रिक्स (माप के मानक जिसके द्वारा दक्षता, प्रदर्शन, प्रगति, गुणवत्ता या प्रक्रिया का आकलन किया जा सकता है) मत अपनाए क्योंकि इससे ये आपका नहीं हो जाता है।
हर कोई एक प्रतिभाशाली है, लेकिन अगर आप एक मछली को उसके पेड़ पर चढ़ने की क्षमता से आंकते हैं, तो वह अपनी पूरी जिंदगी यह मानकर बिता देगी कि वह मूर्ख है।
इसलिए सफलता इस बात से नहीं मापी जाती कि आप दूसरों की तुलना में क्या करते हैं..
यह इस बात से मापा जाता है कि आप उस क्षमता से क्या करते हैं जो प्रभु ने आपको दी है..!
प्रभु में अपने विश्वास और विश्वास को बढ़ाकर और उपयोग करके हम अपने जीवन के लिए उनकी इच्छा को पूरा करने के लिए मजबूत हो सकते हैं – यही सफलता का सही पैमाना है..!!
“क्योंकि हम ईश्वर की उत्कृष्ट कृति हैं। उसने हमें मसीह यीशु में नए सिरे से बनाया है, ताकि हम उन अच्छे कामों को कर सकें जिनकी उसने हमारे लिए बहुत पहले योजना बनाई थी.….”(एफेसियों 2:10)
June 2
What shall we say, then? Shall we go on sinning so that grace may increase? By no means! We died to sin; how can we live in it any longer?