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यह सब एक विचार से शुरू होता है ..
आपके विचार आपकी भावनाओं, जज्बातों, निर्णयों, कार्यों और आदतों को प्रभावित करते हैं।
और आपकी आदतें ही तय करेंगी आपका चरित्र और भविष्य..!
आप अभी जीवन में जहां भी हैं, आपके विचार आपको उस जगह तक ले आए हैं, चाहे अच्छा हो या बुरा..
ईश्वर की मदद और प्यार से, आपका जीवन बेहतर के लिए बदल सकता है..
सही सोच गलत कार्यों को बदल देगी लेकिन सही कार्यों से गलत सोच नहीं बदलेगी..
अपने आप को अनुशासित करके सही बात को काफी देर तक सोचे, और अंत में सही चीज आपके साथ ही होगी..!
यीशु ने लोगों को अपनी सोच बदलने के लिए चुनौती दी क्योंकि आप चाहे कितनी भी बार बाइबल पढ़ लें, यदि आपका मन नहीं बदलता है, तो आप केवल अपने पूर्वाग्रहों और सूचक पत्र (लेबल) को शब्द पर थोप देंगे।
आपके दिमाग के नवीनीकरण का क्या मतलब है? नवीनीकरण का मतलब होता है बदलना या बदलाव लाना..
अपने दिमाग को नवीनीकृत करने का अर्थ है पुराने तरीके की सोच को एक नए तरीके से बदलना..
इसलिए, जब आप ईश वचन को सुनते हैं तो वचन से धोकर अपने मन को नवीनीकृत करें या अपने मन को परमेश्वर के वचन के साथ नवीनीकृत करें इसका मतलब है कि बाइबल जो कहती है, उसके साथ सोचने के पुराने तरीके को बदल दे।
“आप लोग पूर्ण रूप से नवीन आध्यात्मिक विचारधारा अपनायें••••(एफेसियों 4:23‬)

Archives

April 28

[The evil men who killed Jesus] did what your power [O God,] and will had decided beforehand should happen. —Acts 4:28. The cross of Golgotha and the sacrifice of Jesus

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April 27

“In your anger do not sin”: Do not let the sun go down while you are still angry, and do not give the devil a foothold. —Ephesians 4:26-27. Pent-up anger

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April 26

[Jesus] was delivered over to death for our sins and was raised to life for our justification. —Romans 4:25. Why are the Cross and the Empty Tomb so important? Everything

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