संघर्ष को अधिक आसानी से हल करने के लिए, आपको बोलने से पहले सोचने की जरूरत है और अपनी बात मनवाने के बजाय सुनने पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।
सदभाव और सहानुभूति (समझना, प्यार के प्रति संवेदनशील होना) हमेशा साथ रहेगा..
एक को चाहो तो दूसरा रखना पड़ेगा..!
कड़वे शब्द, गुस्से के नखरे, बदला, गाली-गलौज और अपमान को अलग रखें. लेकिन इसके बजाय एक दूसरे के प्रति दयालु और स्नेही बनें। क्या परमेश्वर ने कृपा करके आपको क्षमा किया है? फिर कृपापूर्वक एक दूसरे को मसीह के प्रेम की गहराइयों में क्षमा करें..
“आखिरकार, आप सभी को एक दिमाग का होना चाहिए। एक दूसरे के साथ सहानुभूति. एक-दूसरे को भाई-बहन की तरह प्यार करें। विनम्र रहें, और विनम्र रवैया रखें।…..”(1 पतरस 3:8)
February 23
And let us consider how we may spur one another on toward love and good deeds. Let us not give up meeting together, as some are in the habit of