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यह दुख की बात है कि कुछ लोग यह नहीं समझते कि नरक एक वास्तविक स्थान है जो ईश्वर की उपस्थिति से रहित है..!
“नरक” वह स्थान है जहां जो लोग मसीह को अस्वीकार करते हैं वे अनंत काल के लिए परमेश्वर के भयंकर क्रोध और न्याय से गुजरेंगे••••
पृथ्वी पर हम परमेश्वर की भलाई का अनुभव करते हैं, साथ ही साथ शैतान द्वारा की गई बुराई का भी अनुभव करते हैं•••
हालाँकि, नरक परमेश्वर से पूर्ण, सचेतन, शाश्वत अलगाव है, परमेश्वर से हमेशा के लिए कटा हुआ है – अनंत काल में उसकी अच्छाई का अनुभव करने के लिए परमेश्वर को चुनें..!!
ईश्वर आपको नर्क में नहीं जाने देता, लोग नर्क में जाना पसंद करते हैं••••
जो लोग स्वर्ग जाते हैं वे यीशु मसीह द्वारा दिए मुफ्त पास ( फ्री पास) द्वारा मार्ग पर स्वतंत्र रूप से सवारी करते हैं और उन आशीषों में प्रवेश करते हैं जो उन्होंने कभी अर्जित नहीं की, लेकिन जो लोग नरक में जाते हैं वे अपने करनी का फल चुकाते करते हैं••••
ईश्वर ने रास्ता बनाया। परमेश्वर मनुष्य के रूप में अवतरित हुए और यीशु ने वह परिपूर्ण ( पवित्र) जीवन जिया जिसे हम जी नहीं सक और अपने पापों के लिए मर गए•••• परमेश्वर स्वतंत्र रूप से यीशु मसीह के द्वारा मुक्ति प्रदान करता है। किंतु जो अनुचित है वह यह है कि यीशु की मृत्यु हो गई और वह हमारे जैसे पापियों को उद्धार प्रदान करता है हम जो इसके लायक नहीं हैं या इसके लिए इच्छुक नहीं हैं। यह एकदम अनुचित है••••
*यीशु ने ईश वचन की घोषणा करना और कहना शुरू किया, “पश्चाताप करो [अपने आंतरिक स्वभावको बदलो – अपने पुराने सोचने का तरीका, पिछले पापों पर पछतावा करो, अपना जीवन इस तरह से जियो कि पश्चाताप साबित हो; अपने जीवन के लिए परमेश्वर के इच्छा की तलाश करें], क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट है••••
“जो पुत्र पर विश्वास करता है और उस पर भरोसा करता है और उसे [उद्धारकर्ता के रूप में] स्वीकार करता है, उसके पास अनन्त जीवन है [अर्थात, उसके पास पहले से ही है]; परन्तु जो पुत्र पर विश्वास नहीं करता, और उसे अस्वीकार करता है, [उसकी अवज्ञा करता है और उसे उद्धारकर्ता के रूप में अस्वीकार करता है] वह [अनन्त] जीवन नहीं देखेगा, परन्तु [बल्कि] परमेश्वर का क्रोध उस पर लगातार बना रहता है.…..”(योहन 3:36‬)

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April 2

But God chose the foolish things of the world to shame the wise; God chose the weak things of the world to shame the strong. —1 Corinthians 1:27. The Cross

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April 1

In the same way, the Spirit helps us in our weakness. We do not know what we ought to pray for, but the Spirit himself intercedes for us with groans

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March 31

Now to him who is able to do immeasurably more than all we ask or imagine, according to his power that is at work within us, to him be glory

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