Welcome to JCILM GLOBAL

Helpline # +91 6380 350 221 (Give A Missed Call)

आत्म-प्रयास के संघर्ष को समाप्त करो..!
यह हमारा गलत विश्वास है जो हमें बंधन में रखता है••••
हम कैसे सोचते हैं या महसूस करते हैं और वचन पर भरोसा करते हैं, इसे समायोजित करके, हमें विजय की ओर ले जाता है – सच तो यह है कि यीशु ने हमें पहले ही हर चीज़ से आज़ाद कर दिया है..!!
स्वयं के प्रयास पर भरोसा न करने का मतलब यह नहीं है कि आप परिश्रमनहीं करें , इसका मतलब यह है कि आप अपने ईश्वर पर भरोसा रखे जो आपके माध्यम से काम करते हैं•••
स्वयं के प्रयास पर भरोसा न करने का मतलब यह नहीं है कि आप कुछ भी नहीं करें और हाथ पर हाथ धर के बैठे रहे, परंतु इसका मतलब यह है कि आप जो कुछ भी करते हैं वह इस चेतना के साथ करते हैं कि ईश्वर आपके साथ है और वह आपको वह सब कुछ करने के लिए सशक्त करेगा जो वह चाहता है••••
ईश्वर की कृपा के संदेश को आलसी होने का लाइसेंस समझने की गलती न करें। परमेश्वर ने आलसी लोगों के द्वारा बाइबल में कभी भी महान कार्य नहीं किए। ईश्वर नेआपको वह सब कुछ पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने की कृपा दी है जो उसने आपको करने के लिए बुलाया है, लेकिन जब आप ईश्वर की कृपा से कड़ी मेहनत करते हैं, तो आप अभिभूत,बोझ, अतिभारित या तनाव में नहीं होंगे••••
जब आप अपने ईश्वरीय उद्देश्य का अनुसरण करते हैं तो आपको उन चीजों की आवश्यकता होगी जिसे ईश्वर ने आपके लिए पहले से ही स्थापित कर दी हैं, और वे चीजें अनुग्रह से आपके पास स्वतंत्र रूप से आएंगी ताकि आप सफलता का अनुभव कर सकें जो बिना पसीने के, थका देने वाली है आप कड़ी मेहनत कर सकते हैं और थके हुए, निराश या तनावग्रस्त नहीं हो सकते•••••
“….मैं जो कुछ भी हूँ, ईश्वर की कृपा से हूँ और मुझे उस से जो कृपा मिली, वह व्यर्थ नहीं हुई। मैंने उन सब से अधिक परिश्रम किया है- मैंने नहीं, बल्कि ईश्वर की कृपा ने, जो मुझ में विद्यमान है।(1 कुरिंथियो 15:10‬)

Archives

April 27

“In your anger do not sin”: Do not let the sun go down while you are still angry, and do not give the devil a foothold. —Ephesians 4:26-27. Pent-up anger

Continue Reading »

April 26

[Jesus] was delivered over to death for our sins and was raised to life for our justification. —Romans 4:25. Why are the Cross and the Empty Tomb so important? Everything

Continue Reading »

April 25

“Consider carefully what you hear,” [Jesus] continued. “With the measure you use, it will be measured to you — and even more. Whoever has will be given more; whoever does

Continue Reading »