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आत्म-प्रयास के संघर्ष को समाप्त करो..!
यह हमारा गलत विश्वास है जो हमें बंधन में रखता है••••
हम कैसे सोचते हैं या महसूस करते हैं और वचन पर भरोसा करते हैं, इसे समायोजित करके, हमें विजय की ओर ले जाता है – सच तो यह है कि यीशु ने हमें पहले ही हर चीज़ से आज़ाद कर दिया है..!!
स्वयं के प्रयास पर भरोसा न करने का मतलब यह नहीं है कि आप परिश्रमनहीं करें , इसका मतलब यह है कि आप अपने ईश्वर पर भरोसा रखे जो आपके माध्यम से काम करते हैं•••
स्वयं के प्रयास पर भरोसा न करने का मतलब यह नहीं है कि आप कुछ भी नहीं करें और हाथ पर हाथ धर के बैठे रहे, परंतु इसका मतलब यह है कि आप जो कुछ भी करते हैं वह इस चेतना के साथ करते हैं कि ईश्वर आपके साथ है और वह आपको वह सब कुछ करने के लिए सशक्त करेगा जो वह चाहता है••••
ईश्वर की कृपा के संदेश को आलसी होने का लाइसेंस समझने की गलती न करें। परमेश्वर ने आलसी लोगों के द्वारा बाइबल में कभी भी महान कार्य नहीं किए। ईश्वर नेआपको वह सब कुछ पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने की कृपा दी है जो उसने आपको करने के लिए बुलाया है, लेकिन जब आप ईश्वर की कृपा से कड़ी मेहनत करते हैं, तो आप अभिभूत,बोझ, अतिभारित या तनाव में नहीं होंगे••••
जब आप अपने ईश्वरीय उद्देश्य का अनुसरण करते हैं तो आपको उन चीजों की आवश्यकता होगी जिसे ईश्वर ने आपके लिए पहले से ही स्थापित कर दी हैं, और वे चीजें अनुग्रह से आपके पास स्वतंत्र रूप से आएंगी ताकि आप सफलता का अनुभव कर सकें जो बिना पसीने के, थका देने वाली है आप कड़ी मेहनत कर सकते हैं और थके हुए, निराश या तनावग्रस्त नहीं हो सकते•••••
“….मैं जो कुछ भी हूँ, ईश्वर की कृपा से हूँ और मुझे उस से जो कृपा मिली, वह व्यर्थ नहीं हुई। मैंने उन सब से अधिक परिश्रम किया है- मैंने नहीं, बल्कि ईश्वर की कृपा ने, जो मुझ में विद्यमान है।(1 कुरिंथियो 15:10‬)

Archives

January 15

Know that the Lord is God. It is he who made us, and we are his; we are his people, the sheep of his pasture. —Psalm 100:3. God made us and

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January 14

Enter his gates with thanksgiving and his courts with praise; give thanks to him and praise his name. —Psalm 100:4. As we continue reflecting on the call to worship in

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January 13

Worship the Lord with gladness; come before him with joyful songs. —Psalm 100:2. Let’s not be limited to singing only in church buildings and sanctuaries. Worship is a whole body and

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