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जब हम चुनौतीपूर्ण (निराशाजनक) या चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करते हैं और दबाव में (छोड़ देते हैं), ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम प्रभु की इच्छा को नहीं जानते हैं•••
ईश्वर का वचन ईश्वर की इच्छा है और जब हम जानते हैं कि ईश्वर का वचन किसी विशेष स्थिति के बारे में क्या कहता है, तो हम जानते हैं कि इससे कैसे निपटना है, कैसे सामना करना है, कैसे इसे दूर करना है••••
परमेश्वर कहता है कि न वचन को जानना, उसके वचन का ज्ञान न होना ही उसके प्रजा का विनाश का का कारण है•••
अपने जीवन के लिए परमेश्वर की योजना का अनुसरण करना प्रार्थना में रहना है – सक्रिय रूप से वचन को पढ़ना और उसका अध्ययन करना, परमेश्वर द्वारा आपके हृदय में दी गई आज्ञाओं पर भरोसा करना, और सत्य का पालन करना..!
वचन को क्रियात्मक बनाना ,वचन का पालन करना। अगर आपको लगता है कि सुनना सबसे ज्यादा मायने रखता है, तो आप पाएंगे कि आपको धोखा दिया गया है••••
परमेश्वर पिता सभी वस्तुओं का सृष्टिकर्ता है और वह हमें आशीर्वाद देने के लिए हर अवसर की तलाश में रहता है•••• परन्तु बहुत से लोगों को अच्छी चीज़ों पर भरोसा करने और प्राप्त करने में कठिनाई होती है, तब भी जब वे चीज़ें परमेश्वर की ओर से आती हैं। समस्या यह है कि हमें न केवल अपने जीवन में परमेश्वर के कार्य पर भरोसा करने में परेशानी होती है, बल्कि हम हमेशा परमेश्वर की वाणी का जवाब भी नहीं देते हैं। लोग अक्सर वचन सुनते हैं लेकिन वास्तव में नहीं सुनते। लोग सच्चाई को अपने दिमाग में रखते हैं, अपने दिलों में नहीं और कभी भी उनका इस्तेमाल नहीं करते हैं। प्रेरित याकूब के लिए, एकमात्र अच्छा धर्म वह धर्म है जो हर दिन जीवित रहता है।
“यदि आप इन बातों को जानते हैं, तो आप धन्य हैं [परमेश्वर द्वारा प्रसन्न और अनुग्रहित] यदि आप उन्हें अभ्यास में लाते हैं [और ईमानदारी से उन्हें करते हैं]। ….”(योहन 13:17)

Archives

February 23

And let us consider how we may spur one another on toward love and good deeds. Let us not give up meeting together, as some are in the habit of

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February 22

Yet the Lord longs to be gracious to you; he rises to show you compassion. For the Lord is a God of justice. Blessed are all who wait for him! —Isaiah 30:18 God

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February 21

A person of many companions may come to ruin, but there is a friend who sticks closer than a brother or sister. —Proverbs 18:24. Close spiritual friends are rare —

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