ईसाइयोंके सामने सबसे बड़ी चुनौती है ईश्वर पर भरोसा करना और उनका सम्मान करना, धन और संपत्ति के साथ••••
ईश्वर से हम आशीर्वाद देने के लिए प्रार्थना करते है, फिर भी हम दूसरों को वह आशीर्वाद देने से इनकार करते हैं जो ईश्वर ने हमें पहले ही दे दिया है••••
आइए हम प्रेम करें, प्रार्थना करें, और “आशीर्वाद और चमत्कार” के कार्यकर्ता बनने के लिए सेवा करें, जैसा कि ईश्वर ने हमसे होने का इरादा किया है ..!
मैंने आप को दिखाया कि इस प्रकार परिश्रम करते हुए, हमें दुर्बलों की सहायता करनी और प्रभु ईसा का कथन स्मरण रखना चाहिए कि लेने की उपेक्षा देना अधिक सुखद है।”(प्रेरित चरित 20:35)
April 28
[The evil men who killed Jesus] did what your power [O God,] and will had decided beforehand should happen. —Acts 4:28. The cross of Golgotha and the sacrifice of Jesus