बहुत से लोग ईश्वर के प्रति समर्पण करने से डरते हैं, इसलिए वे जीवन भर भटकते रहते हैं••••••
कुछ प्रतिस्पर्धी मूल्यों के के चलते आधे-अधूरे मन से वचनबद्ध होते हैं (आपके पास दो मजबूत आदर्श हैं जो कुछ मामलों में एक दूसरे के साथ संघर्ष करते हैं), जिससे निराशा होती है•••••
अन्य लोग सांसारिक लक्ष्यों के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता बनाते हैं – धनवान या प्रसिद्ध बनने के लिए – उनका अंत निराश और कटुता में होता है••
इसलिये आपका हृदय हमारे ईश्वर के प्रति निष्कपट हो ताकि आप, उसकी विधियों पर चले, और उसकी आज्ञाओं का पालन करे, इस दिन के रूप में••••••
“यदि यह सब इस प्रकार नष्ट होने को है,तो आप लोगों को चाहिए कि पवित्र तथा भक्तिपूर्ण जीवन व्यतीत करें ?….”(2 पीटर 3:11)
June 2
What shall we say, then? Shall we go on sinning so that grace may increase? By no means! We died to sin; how can we live in it any longer?