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ईश्वर हमारे साथ है और हम में हमेशा – उसके पास पहुंचें ..!
मसीह को और अधिक जानना और उसके साथ समय बिताना, उसके साथ घनिष्ठ संबंध रखने से हमारे जीवन में सतहीपन (उथलापन) फीका पड़ जाता है।
विश्वास अंतरंगता के केंद्र में है। हम किसी पर जितना अधिक भरोसा करते हैं, हम उसे उतना ही अपने पास आने देते हैं..
विश्वास ईश्वर के साथ हमारे संबंधों में उतना ही सच्चा है जितना कि अन्य मनुष्यों के साथ हमारे संबंधों में है..
धर्मग्रंथ हमें दिखाता है कि परमेश्वर उनके साथ घनिष्ठ है जो उस पर भरोसा करते हैं। जितना अधिक हम ईश्वर पर भरोसा करते हैं, उतना ही अधिक हम उसे जान पाते हैं।
परमेश्वर के निकट आने और उसे हमारे निकट लाने का रहस्य बाइबल में स्पष्ट रूप से प्रकट होता है: हम मसीह में विश्वास के द्वारा परमेश्वर के निकट आते हैं, जो केवल हमें उस तक पहुंच प्रदान करता है।
जब परमेश्वर किसी ऐसे व्यक्ति को देखता है जिसका दिल पूरी तरह से उसके वादों पर भरोसा करता है और उनके द्वारा जीता है, तो परमेश्वर उस व्यक्ति का पुरजोर समर्थन करने के लिए आता है और खुद को उसके सामने प्रकट करता है।
परमेश्वर आपके साथ घनिष्ठता चाहता है। इसे संभव बनाने के लिए मसीह ने क्रूस पर पूरी मेहनत की है। उसे केवल इतना चाहिए कि आप उस पर विश्वास करें। वह चाहता है कि आप पूरे दिल से उस पर भरोसा करें..
परमेश्वर के साथ घनिष्ठता अक्सर उन जगहों और स्थितियों में होती है जहाँ हमें उस पर सबसे अधिक भरोसा करना चाहिए।.
“परमेश्वर और उसके सामर्थ्य को ढूंढ़ो; लगातार उसकी उपस्थिति की तलाश करो!… ..”(1 इतिहास 16:11)

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January 21

You see, at just the right time, when we were still powerless, Christ died for the ungodly. Very rarely will anyone die for a righteous man, though for a good

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January 20

And hope does not disappoint us, because God has poured out his love into our hearts by the Holy Spirit, whom he has given us. —Romans 5:5. Hope has become

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January 19

Not only so, but we also rejoice in our sufferings, because we know that suffering produces perseverance; perseverance, character; and character, hope. —Romans 5:3-4 What are you living to produce

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