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बहुत से लोग ईश्वर से बात तो करते हैं लेकिन ईश्वर की कभी नहीं सुनते..!
ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके लिए प्रार्थना एक वार्तालाप (एकतरफा बातचीत) है और आप सिर्फ एक वार्तालाप के जरिए किसी भी रिश्ते को बनाए नहीं रख सकते हैं।
याद रखें कि परमेश्वर हम में से प्रत्येक के साथ एक रिश्ता चाहता है, इसलिए आप उसे कैसे प्रतिबद्ध करते हैं, उसे बदल दें।
अपने प्रार्थना समय में भगवान के साथ शांत समय बिताएं ताकि आप भगवान से सुन सकें।
हम कैसे जानते हैं कि परमेश्वर हमसे बात कर रहा है?
1. परमेश्वर पवित्र आत्मा के माध्यम से प्रेरित विचारों के साथ एक शांत तरीके से हमसे बात करता है जिसे हम पहचान सकते हैं•••
2. पवित्र आत्मा आनंद और शांति की भावना लाता है; हम तनाव, चिंता या भार महसूस नहीं करते..
3. ईश्वर की आवाज हमारे साथ गूंजेगी (हमारे द्वारा समझी गई) ..
4. परमेश्वर अपने वचन और अपने पुत्र यीशु मसीह के माध्यम से हमसे बात करता है•••••
हमारी समझ के स्तर से कोई फर्क नहीं पड़ता, परमेश्वर प्रार्थना के माध्यम से और पवित्र आत्मा के प्रभाव के माध्यम से हमारे साथ संवाद करना चाहता है••• चाहे हम विचारों, भावनाओं या अन्य माध्यमों से बेहतर प्रतिक्रिया दें, उसी तरह भगवान हमारे साथ संवाद करने का प्रयास करेंगे••••
जब परमेश्वर बोलता है, तो हम उसे अपने दिल और दिमाग में पहचान लेंगे। वह शांति की बात करता है, चिंता की नहीं..
“परन्तु यदि वहां से तुम अपने परमेश्वर यहोवा को ढूंढ़ोगे, तो उसे पाओगे, यदि तुम उसे अपने सारे मन और अपने सारे प्राण से ढूंढ़ोगे…..”(विधि विवरण ग्रन्थ ‭4:29‬)

Archives

May 15

Now we ask you, brothers and sisters, to respect those who work hard among you, who are over you in the Lord and who admonish you. —1 Thessalonians 5:12. What

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May 14

Seek good, not evil, that you may live. Then the Lord God Almighty will be with you, just as you say he is. —Amos 5:14. Many illicit and evil groups claim

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May 13

I write these things to you who believe in the name of the Son of God so that you may know that you have eternal life. —1 John 5:13. Yes,

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