Welcome to JCILM GLOBAL

Helpline # +91 6380 350 221 (Give A Missed Call)

ख्रीस्तियों के रूप में, हम जानते हैं कि हम अकेले यह जीवन नहीं जी सकते••••••
फिर भी, जब हमारे
जीवन के महत्वपूर्ण क्षेत्र दांव पर होते हैं, तो अकेले ईश्वर पर भरोसा करना आसान होता है, लेकिन हम ईश्वर को हमसे बात करने का मौका भी नहीं देते हैं•••••
हम अपने ह्रदय और दिमागों को सख्त कर देते हैं जो बदले में हमें प्रभु के प्रेम के प्रति भी रक्षात्मक बनाता है, और जो हम वही करते है जो हम करना चाहते हैं, न कि वह जो ईश्वर हमसे चाहता है••••••!
तो तुम मुझे प्रभु, प्रभु कहकर क्यों पुकारते रहते हो ,जब तुम वह नहीं करते जो मैं कहता हूं?••••••••
जब आप अपना मन बंद कर देते हो तो निश्चित रूप से जान लो प्रभु आपसे बात नहीं करने वाले हैं•••••!!
हमें उस घमंडी (हठी) मानसिकता को छोड़ना होगा और अपने बल पर इसका पता लगाकर इसे छोड़ना होगा – यह ईश्वर के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए हमारे दिमाग और दिल को खोलने की कुंजी है••••••
“मैं बस वह सब मानना ​​चाहता हूं जो तुम मुझसे कहते हो।
“प्रभु ! मुझे तेरी इच्छा पूरी करने की शिक्षा दे, क्योंकि तू ही मेरा ईश्वर है। तेरा मंगलमय आत्मा मुझे समतल मार्ग पर ले चलता है”•••••••”( स्त्रोत ग्रंथ 143:10‬)

Archives

April 29

Do not swerve to the right or the left; keep your foot from evil.—Proverbs 4:27. When I see someone swerving in and out of their lane during heavy traffic, I

Continue Reading »

April 28

[The evil men who killed Jesus] did what your power [O God,] and will had decided beforehand should happen. —Acts 4:28. The cross of Golgotha and the sacrifice of Jesus

Continue Reading »

April 27

“In your anger do not sin”: Do not let the sun go down while you are still angry, and do not give the devil a foothold. —Ephesians 4:26-27. Pent-up anger

Continue Reading »